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बन्द होती सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कम्पनियाँ : सरकार की मजबूरी या साजिश? ( Public sector pharmaceutical companies closed: government compulsion or conspiracy? )

बन्द होती सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कम्पनियाँ : सरकार की मजबूरी या साजिश? Public sector pharmaceutical companies closed: government compulsion or conspiracy? डॉ . नवमीत किसी भी देश में सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह उस देश की जनता के पोषण, स्वास्थ्य और जीवन स्तर का ख़याल रखे। सिर्फ़ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सरकारें लोगों के स्वास्थ्य का ख़याल रखने का दिखावा करती रही हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह दिखावा भी बन्द होने लगा है। ख़ासतौर पर 1990 के दशक के बाद से सरकारें बेशर्मी के साथ जनता के हितों को रद्दी की टोकरी में फेंकती जा रही हैं। पिछले 20 साल में तो इस बेशर्मी में सुरसा के मुँह की तरह इज़ाफ़ा हुआ है और यह इज़ाफ़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। बहरहाल 1978 में विकसित और विकासशील देशों के बीच और साथ ही देशों के अन्दर भी, लोगों के स्वास्थ्य की असमान स्थिति के मद्देनज़र सोवियत संघ के “अल्मा अता” में दुनिया के तमाम देशों की एक कांफ्रेंस हुई थी जिसमें घोषणा की गयी थी कि यह असमान स्थिति राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर अस्वीकार्य है, इसलिए इस कांफ्रेंस में Health for All...

पंचकूला हिंसा और राम रहीम परिघटना : एक विश्लेषण PANCHKULA HINSA AUR RAM RAHIM PARIGHATANA: EK VISHLESHAN

पंचकूला हिंसा और राम रहीम परिघटना : एक विश्लेषण  कविता कृष्णपल्लवी बलात्कारी और हत्यारे बाबा राम रहीम की गिरफ्तारी और सज़ा के समय  पंचकूला तथा हरियाणा व पंजाब के कई शहरों में हुई हिंसा और राम रहीम परिघटना की सच्चाई को समझने के लिए पंजाब-हरियाणा में डेरों की राजनीति के इतिहास और वर्तमान को समझना ज़रूरी है। पंजाब में डेरों की राजनीति का एक लम्बा इतिहास रहा है। यूँ तो पंजाब में डेरों का इतिहास काफ़ी पुराना रहा है, लेकिन आज़ादी के बाद के वर्षों में सिख धर्म के गुरुद्वारों पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के माध्यम से जाट सिखों के ख़ुशहाल मा‍लि‍क किसान वर्ग का राजनीतिक-सामाजिक वर्चस्व मज़बूत होने के बाद और उनके अकाली दल की राजनीति का मुख्य सामाजिक अवलम्ब बनने के बाद अलग-अलग डेरे दलित और पिछड़ी जातियों की सिख और हिन्दू आबादी को एकजुट करने वाले केन्द्र बनते चले गये। यूँ तो पंजाब-हरियाणा में ऐसे कुल 9000 डेरे हैं। इनमें से कुछ के अनुयायी लाखों हैं तो कुछ के सैकड़ों में। इन डेरों में राधा स्वामी (ब्यास), सच्चा सौदा, निरंकारी, नामधारी, सतलोक आश्रम, दिब्य ज्योति जागरण संस्थान ...

विधि के दायरे में महिलाएं (Women in law) VIDHI KE DAYARE ME MAHILAYEN

-डॉ0 ऋतु दीक्षित   विधि के दायरे में महिलाएं Women in law हमारे धर्म प्रधान भरतीय समाज में सदा से ही विभिन्नता रही है और वह स्थिति लिंग विभाजन की श्रेणिबद्धता, जाति, वर्ग नृजातीयता की श्रेणीबद्धता, क्षेत्रीय विभिन्नता के साथ और भी ज्यादा उलझ गई है। महिला और पुरूष स्वयं को विभिन्नता पदानुक्रम में स्थापित पाते हैं तो उनके जन्म और परिवार के प्रमुख पुरूष सदस्यों से सम्बन्धों के आधार पर उन्हें शक्ति और परिस्थिति प्रदान करतें है। महिलाओं का आंदोलन, विधिक व्यवस्था के पितृस्त्तात्मक आयाम का सचेत आलोचक है, इसके अलावा महिला आन्दोलन, महिलाओं के जीवन के बेहतरी के लिए राज्य से कानूनी हस्तक्षेप की मांग करने में कभी संकोच नहीं करतें। महिला और संविधान भारतीय संविधान नें महिलाओं ओ समानता प्रदान की 79वाँ और 74वाँ सवैधानिक संशोधन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर चयनित संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षित स्थान प्रदान करता है। दुखदः वास्तविकता ये है कि ऐसे प्रावधान स्त्री और पुरूष के मध्य वैधानिक समानता के लिए ठोस आधार निर्मित नही कर सके। रोजगार के मामले में, भेदभाव के विरूद्...