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बाबासाहेब डॉ भीम राव आंबेडकर का जीवन दर्शन Dr. Bhim Rao Ambedkar

बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जीवन दर्शन  Dr. Bhim Rao Ambedkar  हिन्दू धर्म में शुचिता-अशुचिता की धारणा पर व्याप्त जाति व्यवस्था के घोर विरोधी एवं कटु आलोचक, बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ0 अम्बेडकर एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, संविधान विशेषज्ञ के अतिरिक्त एक सामाजिक और धार्मिक चिन्तक एवं सिद्धान्तकार भी थे। उन्हें स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता और दलित चेतना के प्रतीक पुरूष के रूप में जाना जाता है। शांतिपूर्ण सामाजिक क्रान्ति उनके जीवन की प्रमुख मिशन था। सामाजिक क्रान्ति अर्थात् सामाजिक जड़ताओं से छुटकारा पाने और एक ऐसे समाज की रचना जिसमें मनुष्य-मनुष्य के बीच जन्म, जाति, आर्थिक स्थिति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सबके लिए उन्नति और विकास के समान अवसर व साधन उपलब्ध हों। समाज अंधविश्वासों, रूढ़ियों और व्यर्थ के कर्मकाण्डां से मुक्त हो। उनका मानना था कि समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सर्वोच्च मानव-मूल्यों को प्राप्त करने के लिए जाति-व्यवस्था को समाप्त करना आवश्यक है। इसकी समाप्ति के बिना न समाज में समृद्धि होगी और न ही शांति की स्थापना संभव है। एक बार स...

भीमा कोरेगांव में हुई घटना और बाबा साहब अम्बेडकर Bhima Koee gawn me Hui Ghatana aur Baba Saheb Ambedkar

भीमा कोरेगांव में हुई घटना और बाबा साहब अम्बेडकर Bhima Koee gawn me Hui Ghatana aur Baba Saheb Ambedkar कल महाराष्ट्र बंद था,        महाराष्ट्र के अनेक संघ विरोधी संगठन उसमें शामिल थे।        सभी संगठनों ने बंद को शांतिपूर्ण रखने की अपील की थी। इसके बाद भी बंद के दरमियान सैकड़ों बसें तोड़ी गयीं, कारें जलाई गयीं, पथराव किया गया, रेलें रोकी गयीं। 1)  सभी का बंद जब शांतिपूर्ण था तो सारी संपत्तियों को हानि पहुँचाने वाले समाज द्रोही कौन थे? 2) इस विध्वंस का फायदा किसे पहुंचा और कैसे? 3) इस हिंसक आंदोलन का उद्देश क्या था? 4) इस आंदोलन से किसे सबक सिखाना था? 5)  क्या उद्देश्य प्राप्ति हो गयी सबक मिल गया? इन सवालों के जवाब भी न्यायिक जाँच मे मिलने चाहिए।      भिमा कोरेगाव के इतिहास और वर्तमान पर हम थोड़ी नजर डालते हैं- 1 जनवरी को शहीद स्तंभ पर अभिवादन करने का सिलसिला बाबा साहाब आंबेडकर जी ने शुरू किया था। बाबा साहब के महाड सत्याग्रह का नारा था "जय भवानी! जय शिवाजी!" महाराष्ट्र के जनमान...

डॉ. अम्बेडकर और आधुनिक सामाजिक न्याय (Dr. Ambedkar and Modern Social Justice) Dr. Ambedkar aur Adhunik Samajik Nyay

डॉ. अम्बेडकर और आधुनिक सामाजिक न्याय  Dr. Ambedkar  and Modern Social Justice जीवन परिचय- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर जी का जन्म 14 अपै्रल, 1891 को मध्य प्रदेश में इंदौर के निकट महू छावनी में एक महार जाति के परिवार में हुआ। उनका पैतृक गाँव रत्नागिरी जिले की मंडणगढ़ तहसील के अंतर्गत आम्ब्रावेडे था। उनके बचपन का नाम भीमराव एकपाल उर्फ ‘भीमा’ था। वे पिता का रामजी राव मालोजी सकपाल और माता भीमाबाई मुरबादकर की 14वीं (11 लड़कियों व 3 लड़कों में ) व अंतिम संतान थे। उस समय पूर्व के 13 बच्चों में से केवल चार बच्चे बलराम, आनंदराव, मंजुला व तुलासा ही जीवित थे। शेष बच्चों की अकाल मृत्यु हो चुकी थी। समाज जाति-पाति, ऊँच-नीच और छूत-अछूत जैसी भयंकर कुरीतियों के चक्रव्युह में फंसा हुआ था, जिसके चलते महार जाति को अछूत समझा जाता था और उनसे घृणा की जाती थी। उस समय अंग्रेज निम्न वर्ण की जातियों से नौजवानों को फौज में भर्ती कर रहे थे। आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और भीमराव के पिता रामजी आम्बेडकर ब्रिटिश फौज में सूबेदार थे और कुछ समय तक...

भारत में नगरीय मलिन बस्ती एंव औद्योगिक आवास ( Urban Slum and Industrial Housing in India )

भारत में नगरीय मलिन बस्ती एंव औद्योगिक आवास  Urban Slum and Industrial Housing in India मलिन बस्ती नगर की निम्न आवास वाला वह क्षेत्र है जो अव्यवस्थित रूप में विकसित है और सामान्यतः जनाधिक्य एवं भीड़-भाड़ से युक्त है। गिस्ट एवं हलबर्ट ने इन्हें ‘‘विघटित क्षेत्रों का विशिष्ट स्वरूप’ तथा क्वीन एवं थॉमस ने ‘‘रोगग्रस्त क्षेत्र’’ कहा है। बर्गल के अनुसार ‘‘मलिन बस्तियाँ नगरों में वे क्षेत्र है जिनके घर निम्न स्तर के हो।’’ भारत सेवक समाज द्वारा प्रकाशित मलिन बस्तियाँ पर रिपोर्ट के अनुसार मलिन बस्तियाँ शहर के उन भागों को कहा जाता है जो कि मानव विकास की दृष्टि से अनुपयुक्त हो, चाहे वे पुराने ढांचे के परिणामस्वरूप हो या स्वास्थ्य की रक्षा की दृष्टि से जहाँ सफाई की सुविधाएं असम्भव हो।’’ मलिन बस्तियां सामान्यतः दो प्रकार की होती है कच्ची एवं पक्की। कच्ची मलिन बस्तियाँ घास-फूस एवं बांसो की सहायता से निर्मित की जाती है। जो बिना किसी योजना के बहुत ही अव्यवस्थित होती है। इसमें भूमि का प्रत्येक इंच कार्य में जाया जाता है। मलिन बस्तियों के सम्बन्ध में डॉ0 राधाकमल मुखर्जी ने लिखा है ‘‘झोप...