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बाबासाहेब डॉ भीम राव आंबेडकर का जीवन दर्शन Dr. Bhim Rao Ambedkar

बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जीवन दर्शन  Dr. Bhim Rao Ambedkar  हिन्दू धर्म में शुचिता-अशुचिता की धारणा पर व्याप्त जाति व्यवस्था के घोर विरोधी एवं कटु आलोचक, बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ0 अम्बेडकर एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, संविधान विशेषज्ञ के अतिरिक्त एक सामाजिक और धार्मिक चिन्तक एवं सिद्धान्तकार भी थे। उन्हें स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता और दलित चेतना के प्रतीक पुरूष के रूप में जाना जाता है। शांतिपूर्ण सामाजिक क्रान्ति उनके जीवन की प्रमुख मिशन था। सामाजिक क्रान्ति अर्थात् सामाजिक जड़ताओं से छुटकारा पाने और एक ऐसे समाज की रचना जिसमें मनुष्य-मनुष्य के बीच जन्म, जाति, आर्थिक स्थिति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सबके लिए उन्नति और विकास के समान अवसर व साधन उपलब्ध हों। समाज अंधविश्वासों, रूढ़ियों और व्यर्थ के कर्मकाण्डां से मुक्त हो। उनका मानना था कि समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सर्वोच्च मानव-मूल्यों को प्राप्त करने के लिए जाति-व्यवस्था को समाप्त करना आवश्यक है। इसकी समाप्ति के बिना न समाज में समृद्धि होगी और न ही शांति की स्थापना संभव है। एक बार स...