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युवा विधवाएं और प्रतिमानहीनता (Young Widows in India)

युवा विधवाएं और अप्रतिमानहीनता भारत में युवा विधवाएं  ‘‘जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते है’’ ऐसी वैचारिकी से पोषित हमारी वैदिक संस्कृति, सभ्यता के उत्तरोत्तर विकास क्रम में क्षीण होकर पूर्णतः पुरूषवादी मानसिकता से ग्रसित हो चली है। विवाह जैसी संस्था से बधे स्त्री व पुरूष के सम्बन्धों ने परिवार और समाज की रचना की, परन्तु पति की मृत्यु के पश्चात् स्त्री का अकेले जीवन निर्वहन करना अर्थात विधवा के रूप में, किसी कलंक या अभिशाप से कम नहीं है। भारतीय समाज में बाल -विवाह की प्रथा कानूनी रूप से निषिद्ध होने के बावजूद भी अभी प्रचलन में है। जिसके कारण एक और सामाजिक समस्या के उत्पन्न होने की संभावना बलवती होती है और वो है युवा विधवा की समस्या। चूंकि बाल-विवाह में लड़की की उम्र, लड़के से कम होती है। अतः युवावस्था में विधवा होने के अवसर सामान्य से अधिक हो जाते है और एक विधवा को अपवित्रता के ठप्पे से कलंकित बताकर, धार्मिक कर्मकाण्ड़ों, उत्सवों, त्योहारों एवं मांगलिक कार्यों में उनकी सहभागिका को अशुभ बताकर, उनके सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को पूर्ण रूपेण प्रतिबंध...

विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालय, काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के गौरवशाली 100 वर्ष के इतिहास पर एक नजर About BHU (Banaras Hindu University)

विश्व के सबसे बेहतरीन व अनूठे विश्वविद्यालय के बारे में कुछ रोचक तथ्य । हमें गर्व है कि हम मालवीय जी की इस महान कृति के हम सेवक हैं.................. BHU काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के 100 गौरवशाली वर्ष के इतिहास पर एक नजर डालते हैं और जानते हैं इस विश्‍वविद्यालय से जुड़े 100 ऐसे तथ्‍य जो शायद आप ना जानते हों :- 1. सर्वप्रथम प्रयाग (इलाहाबाद) की सड़कों पर अपने अभिन्‍न मित्र बाबू गंगा प्रसाद वर्मा और सुंदरलाल के साथ घूमते हुए मालवीय जी ने हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय की रूपरेखा पर विचार किया। 2. 1904 ई में जब विश्‍वविद्यालय निर्माण के लिए चर्चा चल रही थी तब कइयों ने इसकी सफलता पर गहरा शक भी प्रगट किया था। कइयों को विश्‍वास ही नहीं हो रहा था कि ऐसा भी विश्‍वविद्यालय वाराणसी की धरती पर निर्मित किया जा सकता है। 3. नवंबर 1905 में महामना मदन मोहन मालवीय ने हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय निर्माण के लिए अपना घर त्‍याग दिया। 4. तत्‍कालीन काशीनरेश महाराजा प्रभुनारायण सिंह की अध्‍यक्षता में बनारस के मिंट हाउस में काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना के लिए पहली बैठक बुलाई गई। 5. जुलाई 1905 ...