-डॉ0 ऋतु दीक्षित विधि के दायरे में महिलाएं Women in law हमारे धर्म प्रधान भरतीय समाज में सदा से ही विभिन्नता रही है और वह स्थिति लिंग विभाजन की श्रेणिबद्धता, जाति, वर्ग नृजातीयता की श्रेणीबद्धता, क्षेत्रीय विभिन्नता के साथ और भी ज्यादा उलझ गई है। महिला और पुरूष स्वयं को विभिन्नता पदानुक्रम में स्थापित पाते हैं तो उनके जन्म और परिवार के प्रमुख पुरूष सदस्यों से सम्बन्धों के आधार पर उन्हें शक्ति और परिस्थिति प्रदान करतें है। महिलाओं का आंदोलन, विधिक व्यवस्था के पितृस्त्तात्मक आयाम का सचेत आलोचक है, इसके अलावा महिला आन्दोलन, महिलाओं के जीवन के बेहतरी के लिए राज्य से कानूनी हस्तक्षेप की मांग करने में कभी संकोच नहीं करतें। महिला और संविधान भारतीय संविधान नें महिलाओं ओ समानता प्रदान की 79वाँ और 74वाँ सवैधानिक संशोधन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर चयनित संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षित स्थान प्रदान करता है। दुखदः वास्तविकता ये है कि ऐसे प्रावधान स्त्री और पुरूष के मध्य वैधानिक समानता के लिए ठोस आधार निर्मित नही कर सके। रोजगार के मामले में, भेदभाव के विरूद्...
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