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कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है (द्वारा गोपालदास जी नीरज)

छिप-छिप अश्रु बहाने वालो !  मोती व्यर्थ बहाने वालो ! कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। सपना क्या है? नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी, और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी गीली उमर बनाने वालो। डूबे बिना नहाने वालो ! कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।  माला बिखर गयी तो क्या है ख़ुद ही हल हो गई समस्या, आँसू गर नीलाम हुए तो समझो पूरी हुई तपस्या, रूठे दिवस मनाने वालो ! फटी कमीज़ सिलाने वालो ! कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।  खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर केवल जिल्द बदलती पोथी । जैसे रात उतार चाँदनी पहने सुबह धूप की धोती वस्त्र बदलकर आने वालो ! चाल बदलकर जाने वालो ! चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है। लाखों रोज गगरियाँ फूटीं शिकन न आई पनघट पर लाखों बार किश्तियाँ डूबीं चहल-पहल वो ही है तट पर तम की उमर बढ़ाने वालो लौ की आयु घटाने वालो लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है। लूट लिया माली ने उपवन लुटी न लेकिन गन्ध फूल की, तूफ़ानों तक ने छेड़ा प...

भारतीय संस्कृति : एक संतुलित जीवन पद्धति ( Indian Culture: A balanced life system)

भारतीय संस्कृति : एक संतुलित जीवन पद्धति ( Indian Culture: A balanced life system) संस्कृति का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है एवं उसका क्षेत्र सार्वभौमिक और सार्वकालिक है। इस धरती पर मानव के जन्म के साथ ही उसका उदय हुआ और मानव जीवन के विकास के अनुरूप ही उसकी धारा निरन्तर आगे बढती गयी। मानव जीवन के इतिहास के निर्माणक जितने भी साधन हैं,उनमें संस्कृति का स्थान मुख्य है। विष्व के प्रत्येक राष्ट्र की अपनी संस्कृति है। युगों-युगों से प्रत्येक राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक थाती को सहेज कर रखता आया है जो कि उसकी गरिमा का द्योतक रहा है। किसी भी राष्ट्र की उन्नति का सीधा सम्बन्ध उसकी संस्कृति से होता है। संस्कृति ही वह तत्व है जो एक राष्ट्र की परम्पराओं को अन्य से अलग करते हुये उसे एक विषिष्ट पहचान देती है। भारत प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक गतिविधियों और परम्पराओं में विष्व का अग्रणी राष्ट्र रहा है। जब समस्त विष्व की सभी सभ्यतायें प्रगति के शैषवकाल में विचरण कर रही थी, तब भारतीय ऋषि तत्वज्ञान की गहन मीमांसा, चिंतन एवं मनन में लीन थे।यथा- ज्ञानं तृतीयं मनुजस्य नेत्रं समस्ततत्वार्थ विलोकिदक्षम् ...