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सामाजिक रूपांतरण में मीडिया की भूमिका (Role of Media in Social Transformation) Samajik Rupantaran me Media ki Bhumika

सामाजिक रूपांतरण में मीडिया की भूमिका Role of Media in Social Transformation  संचार का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना की ये समाज , परन्तु मीडिया शब्द का आविर्भाव बहुत अधिक प्राचीन नहीं है , संचार जहाँ संदेशों के संचरण का पर्याय है , मीडिया बदलाव और एक क्रान्ति का नाम है , जिसने इतनी तेजी से और इतनी गहराई में पैर जमाये हैं कि आज मीडिया के बिना समाज की कल्पना पाषाण काल में जाने जैसा है। सामाजिक रूपांतरण एक रूढ़ शब्द नहीं है , बल्कि इसकी आत्मा में एक गतिशीलता का भाव छुपा हुआ है। सामाजिक संदर्भों में रूपांतरण एक कायिक प्रकिया है , जिसमें व्यक्ति , संस्थाएं , समाज या समूह के व्यवहार में एक किस्म का आमूल-चूल परिवर्तन देखा जाता है। यह परिवर्तन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह का हो सकता है। जहां तक सामाजिक रूपांतरण में मीडिया का भूमिका का प्रश्न है , यह शैक्षिक नवाचार के एक प्रतिरूप के रूप में अभी तक सामने आया देखा जाता रहा है। मीडिया समाज को बदलने का माध्यम है और इसके शब्द ऐसे हथियार हैं , जो व्यक्ति की मानसिकता को तत्काल प्रभावित-अभिप्रेरित करने की क्षमता रखते हैं। जब...

डॉ. अम्बेडकर और आधुनिक सामाजिक न्याय (Dr. Ambedkar and Modern Social Justice) Dr. Ambedkar aur Adhunik Samajik Nyay

डॉ. अम्बेडकर और आधुनिक सामाजिक न्याय  Dr. Ambedkar  and Modern Social Justice जीवन परिचय- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर जी का जन्म 14 अपै्रल, 1891 को मध्य प्रदेश में इंदौर के निकट महू छावनी में एक महार जाति के परिवार में हुआ। उनका पैतृक गाँव रत्नागिरी जिले की मंडणगढ़ तहसील के अंतर्गत आम्ब्रावेडे था। उनके बचपन का नाम भीमराव एकपाल उर्फ ‘भीमा’ था। वे पिता का रामजी राव मालोजी सकपाल और माता भीमाबाई मुरबादकर की 14वीं (11 लड़कियों व 3 लड़कों में ) व अंतिम संतान थे। उस समय पूर्व के 13 बच्चों में से केवल चार बच्चे बलराम, आनंदराव, मंजुला व तुलासा ही जीवित थे। शेष बच्चों की अकाल मृत्यु हो चुकी थी। समाज जाति-पाति, ऊँच-नीच और छूत-अछूत जैसी भयंकर कुरीतियों के चक्रव्युह में फंसा हुआ था, जिसके चलते महार जाति को अछूत समझा जाता था और उनसे घृणा की जाती थी। उस समय अंग्रेज निम्न वर्ण की जातियों से नौजवानों को फौज में भर्ती कर रहे थे। आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और भीमराव के पिता रामजी आम्बेडकर ब्रिटिश फौज में सूबेदार थे और कुछ समय तक...