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Hindi grammar for UPTET AND CTET हिंदी व्याकरण (वर्ण, समास, ध्वनि आदि से जुड़े प्रश्नों की शृंखला)

हिंदी व्याकरण (वर्ण, समास, ध्वनि आदि से जुड़े प्रश्नों की शृंखला) www.parachhaee.com प्रश्‍न 1- क्रिया विशेषण किसे कहते है। उत्‍तर - जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का ज्ञान होता है, उसे क्रिया विशेषण कहते है। जैसे – यहॉ , वहॉ , अब , तक आदि प्रश्‍न 2- अव्यय किसे कहते है। उत्‍तर - जिन शब्दों में लिंग , वचन , पुरूष , कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अव्यय कहते है। प्रश्‍न 3- अव्यय के सामान्यत: कितने भेद है। उत्‍तर - अव्यय के सामान्यत: 4 भेद है। 1. क्रिया विशेषण 2. संबंधबोधक 3. समुच्चोय बोधक 4. विस्मचयादि बोधक प्रश्‍न 4- हिन्दी् में वचन कितने प्रकार के होते है। उत्‍तर - हिन्दी् में वचन 2 प्रकार के होते है। 1. एक वचन 2. बहुवचन प्रश्‍न 5- वर्ण किसे कहते है। उत्‍तर - वह मूल ध्वनि जिसका और विभाजन नही हो सकता हो उसे वर्ण कहते है। जैसे - म , प , र , य , क आदि प्रश्‍न 6- वर्णमाला किसे कहते है। उत्‍तर - वर्णों का क्रमबद्ध समूह ही वर्णमाला कहलाता है। प्रश्‍न 7- शब्द किसे कहते है। उत्‍तर - दो या दो से अधिक वर्णों का मेल जिनका कोई निश्चित अर्थ निकलता ...

Child Psychology and Teaching Aptitude for UPTET and CTET IN Hindi बाल मनोविज्ञान और अध्यापन अभिरुचि से सम्बंधित प्रश्न हिंदी में

बाल मनोविज्ञान और अध्यापन अभिरुचि से सम्बंधित प्रश्न हिंदी में Child Psychology and Teaching Aptitude for UPTET and CTET IN Hindi www.parachhaee.com प्रश्न -1- किशोरों में द्वन्द्व उभरने का प्रमुख कारण है —- A पीढ़ियों क! अन्तर B अवसरों की प्रतिकूलता C निराशा तथा निस्सहायता D किशोरवस्था में स्वप्न दर्शन Ans. B प्रश्न -2- पाठ्यचर्चा है —- A शिक्षण पद्धति एवं पढ़ाई जाने वाली विषय – वस्तु B विधालय का सम्पूर्ण कार्यक्रम C मूल्यांकन प्रक्रिया D कक्षा में प्रयुक्त पाठ्य-सामग्री Ans. B प्रश्न -3- डिस्लेक्सिया संबंधित है — A मानसिक विकार B गणितीय विकार C पठन विकार D व्यवहार संबंधी विकार Ans. C प्रश्न -4- टर्मन के अनुसार औसत बुद्धि-लब्धि होती हैं — A 120 – 140 B 110 – 135 C 90 – 110 D 80 – 90 Ans. C प्रश्न -5- जब बच्चें को कोई नियम या सिद्धांत सिखाना हो तो अध्यापक प्रयोग करेगा — A आगमन विधि B निगमन विधि C विश्लेषण विधि D कहानी कथन विधि Ans. A प्रश्न -6- श्यामपट्ट पर लिखते समय सबसे महत्वपूर्ण हैं — A अच्छा लेख B लिखने में स्पष्टता C बड़े अक्षर D छ...

UPTET/CTET के लिए बालविकास की महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

UPTET/CTET के लिए बालविकास की महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी Para chhaee.com प्रश्‍न 1- पियाजे ने बुद्धि को किसके प्रति समायोजन योग्यता के रूप में परिभाषित किया है। उत्‍तर - भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण । प्रश्‍न 2- किस विद्वान ने नैतिक वृद्धि की अवस्थाओं की अवधारणा प्रस्तुत की है। उत्‍तर - कोहलबर्ग ने । प्रश्‍न 3- जीनपियाजे के अनुसार कोई बच्चा किस अवस्था में अपने परिवेश की वस्तुकओं को पहचानने एवं उनमें विभेद करने लगता है। उत्‍तर - पूर्व – संक्रियात्मक अवस्था । प्रश्‍न 4- व्य्गोट्स्कीं के अनुसार बच्चे् अपने साथी – समूह के सक्रिय सदस्य कब होते है। उत्‍तर - किशोरावस्था । प्रश्‍न 5- फ्रॉयड के अनुसार किसी बच्चे में समाजीकरण की प्रक्रिया हेतु सर्वोतम आयु होती है। उत्‍तर - पॉच वर्ष । प्रश्‍न 6- बालको के नैतिक विकास को समझने के लिए जीन पियाजे ने कौन सी विधि को अपनाया। उत्‍तर - साक्षत्कार विधि । प्रश्‍न 7- बच्चे दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते है। यह किस विद्वान का कथन है। उत्‍तर - जीन पियाजे । प्रश्‍न 8- यह कथन किसका है कि ज्ञानात्मक विकास नकल पर आधारित न होकर खोज प...

Yad aati ho tum याद आती हो तुम

याद आती हो तुम Parachhaee.com जानती हो? याद आती हो तुमi जब भी देखता हूँ किसी को किसी का हाथ पकड़ चलते हुए। याद आती हो तुम जब भी सबके बीच कहीं वीराने में भटकता है मेरा मैं रोते हुए। याद आती हो तुम जब भी सुनता हूँ किसी पायल की झंकार किसी संगत से आते हुए। जानती हो? खुद को कितना समझाता हूँ मैं जब भी अकेला होता है मेरा मैं खुद को कितना समझाता हूँ मैं जब भी यादों को जबरदस्ती भगाता हूँ मैं खुद को कितना समझाता हूँ मैं जब भी खुद को बहुत समझदार बताता हूँ मैं जानती हो? फिर याद आती हो तुम जब भी किसी और के बारे में सोचता हूँ मैं फिर याद आती हो तुम जब भी कभी अपनी सांसो को महसूस करता हूँ मैं फिर याद आती हो तुम जब भी कभी बैचैनी में किसी को ढूंढता हूँ मैं जानती हो? फिर खुद को कितना समझाता हूँ मैं जब भी अकेले कहीं निकालकर वादियों में खो जाने का मन करता है। फिर खुद को कितना समझाता हूँ मैं जब भी किसी को थोड़ा सताने और जलाने का मन करता है। फिर खुद को कितना समझाता हूँ मैं जब भी जिंदगी के उन बीते पलों में खो जाने का मन करता है। जानती हो ...

जब 'मौत से ठन गई' थी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की, इस कविता में दिखी थी जीत........

जब 'मौत से ठन गई' थी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की, इस कविता में दिखी थी जीत........ अटल बिहारी वाजपेयी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता के तौर पर जितने सराहे गए हैं, उतना ही प्यार उनकी कविताओं को भी मिला है। उनकी कई कविताएं उनके व्यक्तित्व की परिचायक बन गईं तो कइयों ने जीवन को देखने का उनका नजरिया दुनिया के सामने रख दिया। लंबे वक्त से बीमार चल रहे अटल को बुधवार को लाइफ सपॉर्ट पर रखा गया तो देश-दुनिया में उन्हें मानने वाले लोगों के मन में अपने चहेते राजनेता की चिंता घर कर गई ।  साल 1988 में जब वाजपेयी किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे तब धर्मवीर भारती को लिखे एक खत में उन्होंने मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को कविता के रूप में सजाया था। आज एक बार फिर याद आ रही यह कविता थी- 'मौत से ठन गई'... ठन गई ! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,  रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नह...

पंद्रह अगस्त का दिन कहता (15 August ka Din Kahata Hai..)

पंद्रह अगस्त का दिन कहता  www.parachhaee.com पंद्रह अगस्त का दिन कहता -------------- आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है।। जिनकी लाशों पर पग धर कर आज़ादी भारत में आई। वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई।। कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आँधी-पानी सहते हैं। उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं।। हिंदू के नाते उनका दु:ख सुनते यदि तुम्हें लाज आती। तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती।। इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है। इस्लाम सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है।। भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं। सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं।। लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया। पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया।। बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है। कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है।। दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे। गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे।। ...

युवा विधवाएं और प्रतिमानहीनता (Young Widows in India)

युवा विधवाएं और अप्रतिमानहीनता भारत में युवा विधवाएं  ‘‘जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते है’’ ऐसी वैचारिकी से पोषित हमारी वैदिक संस्कृति, सभ्यता के उत्तरोत्तर विकास क्रम में क्षीण होकर पूर्णतः पुरूषवादी मानसिकता से ग्रसित हो चली है। विवाह जैसी संस्था से बधे स्त्री व पुरूष के सम्बन्धों ने परिवार और समाज की रचना की, परन्तु पति की मृत्यु के पश्चात् स्त्री का अकेले जीवन निर्वहन करना अर्थात विधवा के रूप में, किसी कलंक या अभिशाप से कम नहीं है। भारतीय समाज में बाल -विवाह की प्रथा कानूनी रूप से निषिद्ध होने के बावजूद भी अभी प्रचलन में है। जिसके कारण एक और सामाजिक समस्या के उत्पन्न होने की संभावना बलवती होती है और वो है युवा विधवा की समस्या। चूंकि बाल-विवाह में लड़की की उम्र, लड़के से कम होती है। अतः युवावस्था में विधवा होने के अवसर सामान्य से अधिक हो जाते है और एक विधवा को अपवित्रता के ठप्पे से कलंकित बताकर, धार्मिक कर्मकाण्ड़ों, उत्सवों, त्योहारों एवं मांगलिक कार्यों में उनकी सहभागिका को अशुभ बताकर, उनके सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को पूर्ण रूपेण प्रतिबंध...

भारत की प्रमुख जनजातियां ( Schedule Caste in India)

भारत की प्रमुख जनजातियां ( Schedule Caste in India) parachhaee.com  भारत में जनजातीय समुदाय के लोगों की काफी बड़ी संख्या है और देश में 50 से भी अधिक प्रमुख जनजातीय समुदाय हैं। देश में रहने वाले जनजातीय समुदाय के लोग नेग्रीटो, ऑस्ट्रेलॉयड और मंगोलॉयड प्रजातियों से सम्बद्ध हैं। देश की प्रमुख जनजातियां निम्नलिखित हैं- *आंध्र प्रदेश*: चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक। *असम व नगालैंड*: बोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नगा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी। *झारखण्ड*: संथाल, असुर, बैगा, बन्जारा, बिरहोर, गोंड, हो, खरिया, खोंड, मुंडा, कोरवा, भूमिज, मल पहाडिय़ा, सोरिया पहाडिय़ा, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील। *महाराष्ट्र*: भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा,  कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी। *पश्चिम बंगाल*: होस, कोरा, मुंडा, उरां...

एक शिक्षिका से ममता स्वरुप माँ बनने तक का सफ़र Guru Purnima ke Vishesh Sandarbh me

एक  शिक्षिका से ममता स्वरुप माँ बनने तक का सफ़र एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आंख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता। मिस के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता..मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता.कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे.धीरे धीरे मिस को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मिस की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मिस उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं। राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं ...