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कांशीराम जीवन परिचय हिंदी में | KANSHI RAM BIOGRAPHY IN HINDI

कांशीराम जीवन परिचय
 KANSHI RAM BIOGRAPHY

जन्म: 15 मार्च 1934, रोरापुर, पंजाब
मृत्यु: 9 अक्तूबर 2006
व्यवसाय: राजनेता

बहुजन समाज को जगाने बाले मान्यबर कांशीराम साहब का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के ख़्वासपुर गांव में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरीसिंह और मां श्रीमती बिशन कौर थे। उनके दो बड़े भाई और चार बहनें भी थी। बी.एस.सी स्नातक होने के बाद वे डीआरडीओ में बेज्ञानिक पद पर नियुक्त हुए। 1971 में श्री दीनाभाना एवं श्री डी के खापर्डे के सम्पर्क में आये। खापर्डे साहब ने कांशीराम साहब को बाबासाहब द्वारा लिखित पुस्तक "An Annihilation of Caste" (जाति का भेद विच्छेदन) दी। यह पुस्तक साहब ने रात्रि में ही पूरी पढ़ ली।और इस पुस्तक को पढ़ने के बाद सरकारी नोकरी से त्याग पत्र दे दिया। उसी समय उंन्होने अपनी माताजी को पत्र लिखा कि वो अजीबन शादी नही करेंगे। अपना घर परिबार नही बसायेंगे। उनका सारा जीवन समाज की सेवा करने में ही लगेगा। साहब ने उसी समय यह प्रतिज्ञा की थी कि उनका उनके परिबार से कोई सम्बंध नही रहेगा। बह कोई सम्पत्ति अपने नाम नही बनायेगे।उनका सारा जीबन समाज को ही समर्पित रहेगा, और साहब अजीबन अपनी इस प्रतिज्ञा पर अडिग डटे रहे। अंतिम समय तक साहब के पास कोई सम्पत्ति नही थी।उनके परिनिर्माण के बाद भी उनका शरीर उनके परिवार को नही सौपा गया था।
 काफ़ी समय तक साहब महाराष्ट्र में रहकर बाबासाहब द्वारा गठित राजनीतिक पार्टी आर पी आई ,जो 1971 तक अपने ब्यक्तिगत स्वार्थों के कारण कई गुटो में बंट चुकी थी, को एक करने में लगें रहें।लेक़िन जब सफलता नही मिली तो कांशीराम साहब  महाराष्ट्र छोड़कर दिल्ली में आ गए ।उस समय साहब ने कहा था कि यदि कोई मेरा राजनीतिक गुरु होता तो मैं अपने जीवन के इतने साल आर पी आई को इकट्ठा करने में ब्यर्थ ही नही करता। साहब दिल्ली में 1978 में सरकारी कर्मचारियों का गैर राजनीतिक , गैर संघर्षात्मक संघटन बामसेफ बनाया जो सरकारी कर्मचारियों का संघटन था लेकिन उनके लिए नही था। इस संघटन के द्वारा कांशीराम साहब ने सरकारी कर्मचारियों के बीच निःस्वार्थ भाव की मिशनरी कार्यकर्ताओ की टीम बनाई जो पूरी तरह से कैडर को समर्पित थी।

कांशी राम एक भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने अछूतों और दलितों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए जीवन पर्यान्त कार्य किया। उन्होंने समाज के दबे-कुचले वर्ग के लिए एक ऐसी जमीन तैयार की जहा पर वे अपनी बात कह सकें और अपने हक़ के लिए लड़ सके। इस कार्य को करने के लिए उन्होंने कई रास्ते अपनाए पर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना इन सब में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम था। कांशी राम ने अपना पूरा जीवन पिछड़े वर्ग के लोगों की उन्नति के लिए और उन्हें एक मजबूत और संगठित आवाज़ देने के लिए समर्पित कर दिया। वे आजीवन अविवाहित रहे और अपना समग्र जीवन पिछड़े लोगों लड़ाई और उन्हें मजबूत बनाने में समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन
कांशी राम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोरापुर में एक रैदासी सिख परिवार में हुआ था। यह एक ऐसा समाज है जिन्होंने अपना धर्म छोड़ कर सिख धर्म अपनाया था। कांशी राम के पिता अल्प शिक्षित थे लेकिन उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि अपने सभी बच्चों को उच्च शिक्षा देंगे। कांशी राम के दो भाई और चार बहने थीं। कांशी राम सभी भाई-बहनों में सबसे बड़े और सबसे अधिक शिक्षित भी। उन्होंने बी एससी की पढाई की थी। 1958 में स्नातक होने के बाद कांशी राम पूना में रक्षा उत्पादन विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हुए।
कार्यकाल
1965 में उन्होंने डॉ अम्बेडकर के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश रद्द करने के विरोध में संघर्ष किया। इस घटना के बाद उन्होंने पीड़ित समाज के लिए लड़ने का मन बना लिया। उन्होंने संपूर्ण जातिवादी प्रथा और डॉ बी आर अम्बेडकर के कार्यो का गहन अध्ययन किया और दलितों के उद्धार के लिए बहुत प्रयास किए। आख़िरकार, सन 1971 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने एक सहकर्मी के साथ मिल कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक कर्मचारी कल्याण संस्था की स्थापना की।
यह संस्था पूना परोपकार अधिकारी कार्यालय में पंजीकृत की गई थी। हालांकि इस संस्था का गठन पीड़ित समाज के कर्मचारियों का शोषण रोकने हेतु और असरदार समाधान के लिए किया गया था लेकिन इस संस्था का मुख्य उद्देश था लोगों को शिक्षित और जाति प्रथा के बारे में जागृत करना। धीरे-धीरे इस संस्था से अधिक से अधिक लोग जुड़ते गए जिससे यह काफी सफल रही। सन 1973 में कांशी राम ने अपने सहकर्मियो के साथ मिल कर BAMCEF (बेकवार्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीस एम्प्लोई फेडरेशन) की स्थापना की जिसका पहला क्रियाशील कार्यालय सन 1976 में दिल्ली में शुरू किया गया। इस संस्था का आदर्श वाक्य था एड्यूकेट ओर्गनाइज एंड ऐजिटेट। इस संस्था ने अम्बेडकर के विचार और उनकी मान्यता को लोगों तक पहुचाने का बुनियादी कार्य किया। इस के पश्चात कांशी राम ने अपना प्रसार तंत्र मजबूत किया और लोगों को जाति प्रथा, भारत में इसकी उपज और अम्बेडकर के विचारों के बारे में जागरूक किया। वे जहाँ-जहाँ गए उन्होंने अपनी बात का प्रचार किया और उन्हें बड़ी संख्या में लोगो का समर्थन प्राप्त हुआ।
सन 1980 में उन्होंने ‘अम्बेडकर मेला’ नाम से पद यात्रा शुरू की जिसमें अम्बेडकर के जीवन और उनके विचारों को चित्रों और कहानी के माध्यम से दर्शाया गया। 1984 में कांशी राम ने BAMCEF के समानांतर दलित शोषित समाज संघर्ष समिति की स्थापना की। इस समिति की स्थापना उन कार्यकर्ताओं के बचाव के लिए की गई थी जिन पर जाति प्रथा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हमले होते थे। हालाँकि यह संस्था पंजीकृत नहीं थी लेकिन यह एक राजनैतिक संगठन था। 1984 में कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी के नाम से राजनैतिक दल का गठन किया। 1986 में उन्होंने ये कहते हुए कि अब वे बहुजन समाज पार्टी के अलावा किसी और संस्था के लिए काम नहीं करेंगे, अपने आप को सामाजिक कार्यकर्ता से एक राजनेता के रूप में परिवर्तित किया। पार्टी की बैठकों और अपने भाषणों के माध्यम से कांशी राम ने कहा कि अगर सरकारें कुछ करने का वादा करती हैं तो उसे पूरा भी करना चाहिए अन्यथा ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि उनमें वादे पूरे करने की क्षमता नहीं है।
राजनीति में योगदान
अपने सामाजिक और राजनैतिक कार्यो के द्वारा कांशी राम ने निचली जाति के लोगो को एक ऐसी बुलंद आवाज़ दी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। बहुजन समाज पार्टी  ने उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश और बिहार में निचली जाति के लोगों को असरदार स्वर प्रदान किया। 
1971 तक कांग्रेस बाबासाहब को केबल महाराष्ट्र तक सीमित करने में सफ़ल हो गई थी। लेक़िन मान्यबर कांशीराम साहब ने बाबासाहब के आंदोलन को ही आगे बढ़ाया । बाबासाहब की तरह उन्होंने भी बहुजन समाज में जन्में महापुरुषों को आदर्श मानते हुए बाबासाहब को घर घर तक पहुँचा दिया। बहुजन समाज को संघटित करके मान्यबर कांशीराम साहब ने 6 दिसम्बर 1981 को D.S-4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) का गठन किया।वे इस सामाजिक ,राजनीतिक संगठन के संस्थापक थे। और यही से साहब ने राजनीति में प्रवेश किया।1982 में सर्वप्रथम हरियाणा बिधानसभा चुनाव में DS4 ने अपने उम्मीदबार खड़े किए। 

14 अप्रैल 1984 को मान्यबर कांशीराम साहब ने महामानव तथागत बुद्ध के सिंद्धान्त -"बहुजन हिताय , बहुजन सुखाय " को  अंगीकार करते हुए बहुजन समाज पार्टी का गठन किया।इसके संस्थापक अध्यक्ष मान्यबर कांशीराम साहब ही थे। और बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथी बनाया।अपनी राजनीतिक सूझबूझ ,नेतृत्व कुशलता एवं त्याग की भावना के कारण साहब ने बहुजन समाज पार्टी को मात्र 9 सालो में न केबल सत्ता तक पहुच दिया वरन एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में स्थापित कर दिया। 
मृत्यु
कांशी राम को मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या थी। 1994 में उन्हें दिल का दौरा भी पड़ चुका था। दिमाग की नस में खून का गट्ठा जमने से 2003 में उन्हें दिमाग का दौरा पड़ा। 2004 के बाद ख़राब सेहत के चलते उन्होंने सार्वजनिक जीवन छोड़ दिया।  करीब 2 साल तक शय्याग्रस्त रहेने के बाद 9 अक्टूबर 2006 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। उनकी आखिरी इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार बौद्ध रीति-रिवाजो से किया गया।
विरासत
कांशी राम की सबसे महत्वपूर्ण विरासत है उनके द्वारा स्थापित किया गया राजनैतिक दल – बहुजन समाज पार्टी। उन के सम्मान में कुछ पुरस्कार भी प्रदान किये जाते हैं। इन पुरस्कारों में कांशी राम आंतर्राष्ट्रीय खेल कूद पुरस्कार (10 लाख), कांशी राम कला रत्न पुरस्कार (5 लाख) और कांशी राम भाषा रत्न सम्मान (2.5 लाख) शामिल हैं । उत्तर प्रदेश में एक जिले का नाम कांशी राम नगर रखा गया है। इस जिले का नामकरण 15 अप्रैल 2008 को किया गया था। बहुजन समाज मे जन्मे ऐसे महान योद्धा के चरणों में कोटि कोटि नमन एवं हार्दिक श्रद्धांजलि।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
1934: रोरापुर, पंजाब में जन्म
1958: पूना में रक्षा उत्पादन विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति
1971: नौकरी छोड़ कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति और
अल्पसंख्यक कर्मचारी कल्याण संस्था की स्थापना की
1973: BAMCEF की स्थापना
1976: दिल्ली में BAMCEF के पहले कार्यरत कार्यालय की स्थापना
1981: दलित शोषित समाज संघर्ष समित्ति की स्थापना
1984: बहुजन समाज पार्टी की स्थापना
2006: 9 अक्टूबर को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई

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