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नवरात्रि के पहले दिन होती है "देवी शैलपुत्री" की पूजा (Shailputri is Worshiped on first day of Navratri )

नवदुर्गा में प्रथम पूजनीया "माँ शैलपुत्री देवी"  Shailputri Devi नवरात्रि के पहले दिन होती है "देवी शैलपुत्री" की पूजा  नवरात्र के पहले दिन शक्तिस्वरुपा देवी दुर्गा के प्रथम रुप मां शैलपुत्री की पूजा और आराधना का विधान है.  हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, देवी शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के यहां हुआ था. इसलिए वे शैलसुता भी कहलाती हैं. मां शैलपुत्री ध्यान मंत्र वंदे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।  वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥ पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम् ॥ पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता ॥ प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् । कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥ देवी शैलपुत्री की उत्पत्ति की पौराणिक कथा पौराणिक आख्यानों के अनुसार, अपने पूर्वजन्म में देवी शैलपुत्री प्रजापति दक्षराज की कन्या थीं और तब उनका नाम सती था. आदिशक्ति देवी सती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था. एक बार दक्षराज ने विशाल यज्ञ आयोजित किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित...

कांशीराम जीवन परिचय हिंदी में | KANSHI RAM BIOGRAPHY IN HINDI

कांशीराम जीवन परिचय  KANSHI RAM BIOGRAPHY जन्म : 15 मार्च 1934, रोरापुर, पंजाब मृत्यु : 9 अक्तूबर 2006 व्यवसाय : राजनेता बहुजन समाज को जगाने बाले मान्यबर कांशीराम साहब का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के ख़्वासपुर गांव में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरीसिंह और मां श्रीमती बिशन कौर थे। उनके दो बड़े भाई और चार बहनें भी थी। बी.एस.सी स्नातक होने के बाद वे डीआरडीओ में बेज्ञानिक पद पर नियुक्त हुए। 1971 में श्री दीनाभाना एवं श्री डी के खापर्डे के सम्पर्क में आये। खापर्डे साहब ने कांशीराम साहब को बाबासाहब द्वारा लिखित पुस्तक "An Annihilation of Caste" (जाति का भेद विच्छेदन) दी। यह पुस्तक साहब ने रात्रि में ही पूरी पढ़ ली।और इस पुस्तक को पढ़ने के बाद सरकारी नोकरी से त्याग पत्र दे दिया। उसी समय उंन्होने अपनी माताजी को पत्र लिखा कि वो अजीबन शादी नही करेंगे। अपना घर परिबार नही बसायेंगे। उनका सारा जीवन समाज की सेवा करने में ही लगेगा। साहब ने उसी समय यह प्रतिज्ञा की थी कि उनका उनके परिबार से कोई सम्बंध नही रहेगा। बह कोई सम्पत्ति अपने नाम नही बनाय...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? और कैसे हुई इसकी शुरुआत? (8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)

8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है?  और कैसे हुई  इसकी शुरुआत? https://www.youtube.com/watch?v=9YUUumS97QU अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानि 8 मार्च को दुनिया के सभी देश चाहे वह विकसित हो या विकासशील मिलकर महिला अधिकारों की बात करते हैं। महिला दिवस के दिन औरतों की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के बारे में चर्चा की जाती है। साथ ही औरतों की तरक्की के विविध पहलुओं पर बातें होतीं हैं। तो आइए हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे कुछ गुफ्तगू करते हैं। शुरू कैसे हुआ 19वीं सदी तक आते-आते महिलाओं ने अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता दिखानी शुरू कर दी थी। अपने अधिकारों को लेकर सुगबुगाहट पैदा होने के बाद 1908 में 15000 स्त्रियों ने अपने लिए मताधिकार की मांग दुहराई। साथ ही उन्होंने अपने अच्छे वेतन और काम के घंटे कम करने के लिए मार्च निकाला। यूनाइटेड स्टेट्स में 28 फरवरी 1909 को पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार सबसे पहले जर्मनी की क्लारा जेडकिंट ने 1910 में रखा। उन्होंने कहा कि...

भीमा कोरेगांव में हुई घटना और बाबा साहब अम्बेडकर Bhima Koee gawn me Hui Ghatana aur Baba Saheb Ambedkar

भीमा कोरेगांव में हुई घटना और बाबा साहब अम्बेडकर Bhima Koee gawn me Hui Ghatana aur Baba Saheb Ambedkar कल महाराष्ट्र बंद था,        महाराष्ट्र के अनेक संघ विरोधी संगठन उसमें शामिल थे।        सभी संगठनों ने बंद को शांतिपूर्ण रखने की अपील की थी। इसके बाद भी बंद के दरमियान सैकड़ों बसें तोड़ी गयीं, कारें जलाई गयीं, पथराव किया गया, रेलें रोकी गयीं। 1)  सभी का बंद जब शांतिपूर्ण था तो सारी संपत्तियों को हानि पहुँचाने वाले समाज द्रोही कौन थे? 2) इस विध्वंस का फायदा किसे पहुंचा और कैसे? 3) इस हिंसक आंदोलन का उद्देश क्या था? 4) इस आंदोलन से किसे सबक सिखाना था? 5)  क्या उद्देश्य प्राप्ति हो गयी सबक मिल गया? इन सवालों के जवाब भी न्यायिक जाँच मे मिलने चाहिए।      भिमा कोरेगाव के इतिहास और वर्तमान पर हम थोड़ी नजर डालते हैं- 1 जनवरी को शहीद स्तंभ पर अभिवादन करने का सिलसिला बाबा साहाब आंबेडकर जी ने शुरू किया था। बाबा साहब के महाड सत्याग्रह का नारा था "जय भवानी! जय शिवाजी!" महाराष्ट्र के जनमान...

भारत में नृत्य के प्रकार Forms of Dance in India (Bharat me Nrity ke Prakar)

भारत में नृत्य के प्रकार  Form of Dance in India भारत में प्राचीन समय से ही बहुमुखी नृत्य रूपों – शास्त्रीय और क्षेत्रीय दोनों का ही विकास हुआ है | भारतीय नृत्य कला के सभी रूपों में रिस चुका है , जो कविता , मूर्तिकला , चित्रकला , संगीत और थिएटर सहित अन्य जगहों पर देखने को मिलता है | भारत के नृत्य विशिष्ट विशेषताओं की एक साथ , एक समग्र कला है , जो दर्शन , धर्म , जीवन चक्र , मौसम , और पर्यावरण की भारतीय विश्वदृष्टि को दर्शाती है | एक गतिशील कला के रूप में , रचनात्मक कलाकारों की कल्पना के साथ , नृत्य रूपों का विकसित होना आज भी जारी है | गुफाओं में मिले चित्र , मोहन जोदड़ो की ‘ नृत्य करती स्त्री की मूर्ति ’, वेद , उपनिषद और अन्य महाकाव्यों में मिले साक्ष्य स्पष्ट रूप से नृत्य प्रदर्शन की भारत की समृद्ध परंपरा को प्रमाणित करते हैं | भरत मुनि का नाट्य शास्त्र नृत्यकला का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। इसको पंचवेद भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में अपनी जड़ो के साथ , सदियों से नृत्य कला , मूर्तिकला के कलाकारों को प्रेरित करती रही है , जिनका प्रभाव हमारे मंदिरों पर स्पष्ट रुप से दे...