सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लिव-इन रिलेशनशिप (सहजीवन) और कानून (Live in Relationship and Law)

लिव-इन रिलेशनशिप (सहजीवन) और कानून (Live in Relationship and Law)




कुछ लोग बिना विवाह के साथ रहने लगे हैं। नए जमाने के इस नए रिश्ते को ‘लिव-इन  रिलेशनशिप’ कहा जाता है।लिव-इन रिलेशनशिप एक विवादास्पद लेकिन modern life के लिए एक अनूठा रिश्ता है जिसमे शादी की पुरानी मान्यता को दरकिनार करते हुए जोड़े साथ रहते है और ठीक उसी तरह से अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के लिए निभाते है जैसे वो शादी करने के बाद करते लेकिन इसमें जो अलग है वो है किसी भी तरह के नैतिक दबाव का नहीं होना और अगर वो चाहे तो कभी भी अलग हो सकते है और अगर इसमें से सामाजिक view और सदियों से चली आ रही कुछ धार्मिक मान्यताओं को अलग करदे तो कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि दो वयस्क जो अपने बारे में ठीक से भला बुरा सोच सकते है और जिनकी मानसिक स्थिति ठीक हो वो यह फैसला ले सकते है और तय कर सकते है कि उन्हें कैसे और किसके साथ अपनी जिन्दगी व्यतीत करनी है फिर चाहे उस रिश्ते को कोई नाम दिया जाये या नहीं | लिव इन रिलेशनशिप आज के आधुनिक जमाने की सच्चाई है। इस रिश्ते में दो लोग साथ-साथ तो रहते हैं लेकिन उनके बीच विवाह का बन्धन नहीं होता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि  जब एक स्त्री और पुरूष बिना विवाह के ही साथ-साथ पति-पत्नि की तरह रहने लगते हैं तो इस रिश्ते को लिव-इन रिलेशनशिप कहते हैं।


लिव-इन रिलेशनशिप आज के महानगरों की सच्चाई है और महानगरों में काफी आम हो चला है। कहा जाता है कि यह रिश्ता आधुनिक संस्कृति की देन है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। इस प्रकार का रिश्ता हमारे आदिवासी समाज में अत्यधिक प्राचीन काल से अस्तित्व में रहा है। आदिवासी समाज में घोटुल नामक एक परम्परा है, जिसमें विवाह योग्य स्त्री और पुरूष कुछ समय के लिए एक दुसरे के साथ रहते हैं और यदि उन्हें यह लगता है कि वे एक दूसरे के पूर्णतः योग्य है तो वे आपस में विवाह कर लेते हैं, अन्यथा वे अलग होकर दूसरे जीवनसाथी की तलाश में लग जाते हैं।


करीना कपूर-सैफअली खान, कोंकण सेन-रणवीर शौरी, सारिका-कमलहसन जैसे अनेक नामी लोगों की लम्बी फेहरिस्त है जो लिव-इन रिलेशनशिप में लम्बे समय तक रहे और बाद में विवाह कर लिया। लेकिन ये सभी बहुचर्चित तथा ऊचे लोग हैं, परन्तु आम तौर पर समाज लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता नहीं प्रदान करता है। लिव-इन रिलेशनशिप की सबसे बड़ी दिक्कत, इससे पैदा होने वाली संताने को लेकर है क्यों कि आज भी भारतीय नारी बिना ब्याही माँ बनने का बोझ नहीं सह सकती। अतः अध्ययनकर्ता द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप पर विस्तृत चर्चा एंव उससे जुड़े मानवीय कानूनों की चर्चा साथ ही ऐसे मामलों में देश विदेश के न्यायालयों के फैसलों पर चर्चा प्रस्तावित लेख मे किया जायेगा।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मलिन बस्ती में महिलाओं की शैक्षिक स्थिति का अध्ययन ( Status of Women Education in Slums in India)

मलिन बस्ती में महिलाओं की शैक्षिक स्थिति का अध्ययन गन्दी बस्तियों की अवधारणा एक सामजिक सांस्कृतिक, आर्थिक समस्या के रूप में नगरीकरण-औद्योगिकरण की प्रक्रिया का प्रत्यक्ष परिणाम है। शहरों में एक विशिष्ट प्रगतिशील केन्द्र के चारों ओर विशाल जनसंख्या के रूप में गन्दी बस्तियाँ स्थापित होती हैं। ये बस्तियाँ शहरों में अनेकानेक तरह की अपराधिक क्रियाओं एवं अन्य वातावरणीय समस्याओं को उत्पन्न करती है, नगरों में आवास की समस्या आज भी गम्भीर बनी हुई है। उद्योगपति, ठेकेदार व पूँजीपति एवं मकान मालिक व सरकार निम्न वर्ग एवं मध्यम निम्न वर्ग के लोगों की आवास संबंधी समस्याओं को हल करने में असमर्थ रहे हैं। वर्तमान में औद्योगिक केन्द्रों में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि हुई है एवं उसी के अनुपात में मकानों का निर्माण न हो पाने के कारण वहाँ अनेको गन्दी बस्तियाँ बस गयी है। विश्व के प्रत्येक प्रमुख नगर में नगर के पाँचवे भाग से लेकर आधे भाग तक की जनसंख्या गन्दी बस्तियों अथवा उसी के समान दशाओं वाले मकानों में रहती है। नगरों की कैंसर के समान इस वृद्धि को विद्वानों ने पत्थर का रेगिस्तान, व्याधिकी नगर, नरक की संक्षिप...

बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे (Banaya hai maine ye ghar dhire dhire) By Dr. Ram Darash Mishra

बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे, खुले मेरे ख्वावों के पर धीरे-धीरे। किसी को गिराया न खुद को उछाला, कटा जिंदगी का सफर धीरे-धीरे। जहां आप पहुंचे छलांगे लगाकर, वहां मैं भी आया मगर धीरे-धीरे। पहाड़ों की कोई चुनौती नहीं थी, उठाता गया यूंही सर धीरे-धीरे। न हंस कर, न रोकर किसी ने उड़ेला, पिया खुद ही अपना जहर धीरे-धीरे। गिरा मैं कभी तो अकेले में रोया, गया दर्द से घाव भर धीरे-धीरे। जमीं खेत की साथ लेकर चला था, उगा उसमें कोई शहर धीरे-धीरे। मिला क्या न मुझको ऐ दुनिया तुम्हारी, मोहब्बत मिली, मगर धीरे-धीरे। साभार- साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. रामदरश मिश्र  (हिन्दुस्तान (फुरसत) 1जुलाई 2018 को प्रकाशित)

कांशीराम जीवन परिचय हिंदी में | KANSHI RAM BIOGRAPHY IN HINDI

कांशीराम जीवन परिचय  KANSHI RAM BIOGRAPHY जन्म : 15 मार्च 1934, रोरापुर, पंजाब मृत्यु : 9 अक्तूबर 2006 व्यवसाय : राजनेता बहुजन समाज को जगाने बाले मान्यबर कांशीराम साहब का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के ख़्वासपुर गांव में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरीसिंह और मां श्रीमती बिशन कौर थे। उनके दो बड़े भाई और चार बहनें भी थी। बी.एस.सी स्नातक होने के बाद वे डीआरडीओ में बेज्ञानिक पद पर नियुक्त हुए। 1971 में श्री दीनाभाना एवं श्री डी के खापर्डे के सम्पर्क में आये। खापर्डे साहब ने कांशीराम साहब को बाबासाहब द्वारा लिखित पुस्तक "An Annihilation of Caste" (जाति का भेद विच्छेदन) दी। यह पुस्तक साहब ने रात्रि में ही पूरी पढ़ ली।और इस पुस्तक को पढ़ने के बाद सरकारी नोकरी से त्याग पत्र दे दिया। उसी समय उंन्होने अपनी माताजी को पत्र लिखा कि वो अजीबन शादी नही करेंगे। अपना घर परिबार नही बसायेंगे। उनका सारा जीवन समाज की सेवा करने में ही लगेगा। साहब ने उसी समय यह प्रतिज्ञा की थी कि उनका उनके परिबार से कोई सम्बंध नही रहेगा। बह कोई सम्पत्ति अपने नाम नही बनाय...