बेटी की अंतिम विदाई कविता
Daughter's final farewell poem
★★एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था। तो कवि ने उस शव से पूछा ----
कौन हो तुम ओ सुकुमारी, बह रही नदियां के जल में ?
कोई तो होगा तेरा अपना, मानव निर्मित इस भू-तल में !
किस घर की तुम बेटी हो, किस क्यारी की कली हो तुम ?
किसने तुमको छला है बोलो, क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?
किस घर की तुम बेटी हो, किस क्यारी की कली हो तुम ?
किसने तुमको छला है बोलो, क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?
किसके नाम की मेंहदी बोलो, हांथों पर रची है तेरे ?
★★ कवि की बातें सुनकरलड़की की आत्मा बोलती है................
कविराज मुझ को क्षमा करो, गरीब पिता की बेटी हूं !
पिता के सुख को सुख समझा, पिता के दुख में दुखी थी मैं !
पर वो निकला सौदागर, लगा दिया मेरा भी मोल !
दौलत और दहेज़ की खातिर पिला दिया जल में विष
घोल !
दुनिया रुपी इस उपवन में, छोटी सी एक कली थी मैं !
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