कौन कहता है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में आरक्षण नहीं है
Reservation or Affirmative Action
जबसे सपा बसपा का गठबन्धन हुआ है और समाजवादी पार्टी के राष्ष्ट्रीय अध्यक्ष Akhilesh Yadav ने जातीय जनगणना की वकालत और आबादी के सापेक्ष प्रतिनिधित्व (आरक्षण उचित शब्द नही है) की वकालत करना आरम्भ किया है और आम जनमानस में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर चर्चा होने लगी है, तबसे आबादी में सबसे कम होने के वावजूद देश के संसाधनों पर वर्षो से कब्जा किये लोगों की मानसिक स्तिथि बिगड़ गयी है। बौखलाहट में कुछ भी बक रहे हैं।( आप रोज हजार झूठ लिखिये, सच लिखने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर छोड़ दीजिए। जब देश मे आग लगी हो तो इसे मेरा चिड़ी की चोंच में पानी बराबर योगदान मान लीजियेगा। में धन्य हो जाऊँगा )
साभार- अरुण कुमार, व्हाट्सएप
आरक्षण के खिलाफ बेहूदे और बेतुके तर्क दिए जाने शुरू कर दिये गए हैं। इनका पहला तर्क होता है कि दूसरे देशो मे आरक्षण नहीं दिया जाता इसलिये वे देश हमसे ज्यादा प्रगितिशील है जो बिल्कुल गलत है। विदेशो मे भी आरक्षण की पद्धति है। अमेरिका, चीन, जापान जैसे देशों में भी आरक्षण है और इसे ईमानदारी से दिया जाता है।
बाहरी देशों में आरक्षण को Affirmative Action कहा जाता है। Affirmative Action का मतलब समाज के "वर्ण " तथा "नस्लभेद" के शिकार लोगो के लिये सामाजिक समता का प्रावधान है ।
1961 को संयुक्त राष्ट्र की बैठक मे सभी प्रकार के वर्ण, नस्लभेद व रंगभेद के खिलाफ कड़ा कानून बनाया गया। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र में सम्मिलित सभी देशो ने अपने देश के वंचित,शोषित वर्ग की मदद करके उन्हें समाज की मुख्य धारा मे स्थापित करने का निर्णय लिया। इसी फैसले के तहत ही शोषितों और वंचितो को उठाने के लिए अलग अलग देशो ने अपने अपने तरीके से आरक्षण लागू किया है।
ऊपर कहे गए देश अमेरिका, जापान और भारत के अलावा अन्य देशो ने भी आरक्षण दिया है जिन मे से कुछेक निम्नलिखित हैं :-
1. हमारे पडोसी देश पाकिस्तान मे बडी मुश्किल से 5% दलित हैं लेकिन उन्हें ईमानदारी से 6% आरक्षण दिया जाता है।
2. आरक्षण के कारण दक्षिण अफ्रीका टीम में 4 अश्वेत खिलाडियों का चयन जरूरी होता है।
3. अमेरिका में affirmative action के तहत अश्वेतों को आरक्षण मिला हुआ है। वहां की मीडिया, फिल्मो में भी अश्वेत कलाकारों का आरक्षण निर्धारित है। वहाँ कोई पिक्चर या विभाग ऐसा नहीं मिलेगा जिसमें अश्वेत/काले न हो। अमेरिका ने तो आज से 155 साल पहले 4 मार्च, 1861 को वंचित वर्ग के अब्राहम लिंकन को अपना राष्ट्रपति बना दिया था।
4. ब्राज़ील में आरक्षण Vestibular नाम से जाना जाता है।
5. कनाडा में समान रोजगार का तत्व है जिसके तहत फायदा वहाँ के असामान्य तथा अल्पसंख्यकों को होता है। भारत से गए सिख उदाहरण हैं।
6. चीन में महिला और तात्विक अल्पसंख्यको के लिये आरक्षण है।
7. फिनलैंड मे स्वीडीश लोगो के लिये आरक्षण है।
8. जर्मनी में जिमनॅशियम सिस्टम है।
9 इज़राइल में Affirmative Action के तहत आरक्षण है।
10. जापान जैसे सबसे प्रगतिशिल देश में भी बुराकूमिन लोगो के लिये आरक्षण है। ज्ञात हो, बुराकूमिन जापान के हक वंचित लोग हैं।
11. मॅसेडोनिया में अल्बानियन के लिये आरक्षण है।
12. मलेशिया में भी उनकी नई आर्थिक योजना के तहत आरक्षण लागू हुआ है।
13. न्यूजीलैंड में मॉरीशस, फिजी और पॉलिनेशियन लोगो के लिये Affirmative Action का आरक्षण है।
14. नॉर्वे के पीसीएल बोर्ड मे 40 % महिला आरक्षण हें।
15. रोमानिया मे शोषण के शिकार रोमन लोगों के लिये आरक्षण है।
16. दक्षिण आफ्रिका मे रोजगार समता अर्थात काले गोरे लोगो को समान रोजगार का आरक्षण है।
17. दक्षिण कोरिया मे उत्तरी कोरिया तथा चीनी लोगों के लिये आरक्षण है।
18. सिंहली बाहुल्य श्रीलंका मे तमिल तथा क्रिश्चियन लोगो के लिये अलग नियम अर्थात आरक्षण है।
19. स्वीडन मे General Affirmative Action के तहत आरक्षण मिलता है ।
अमेरिका के बाजारों में लोहे की जंजीरों में जकड़े, गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले नीग्रो इसी डाइवर्सिटी के बदौलत व्हाइट हाउस तक पहुंच गये। राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन से लेकर बराक ओबामा तक इसी आरक्षण की देन हैं और ओपरा विनफ्रे जैसी तमाम हस्तियां मीडिया में किंग बन गई। हॉलीवुड पर विल स्मिथ जैसे तमाम नीग्रो का कब्जा है, अमेरिका के 30% जज नीग्रो है। करीब 40% पुलिस और 32% आर्मी नीग्रो है।
असल मे अमेरिका में लागू डाइवर्सिटी का सिंद्धान्त समाजवादी है ,इसके अनुसार समाज के वंचित शोषित वर्ग को समाज के सभी सभी अंगों में उचित भागीदारी मिले। राजनीति, शिक्षा, कोर्ट, मीडिया, सिनेमा, यूनिवर्सिटी, उद्योग और व्यापार सभी मे अमेरिका के काले/ अश्वेत लोगो की भागीदारी है।
हमारे आरक्षण विरोधी व्हाट्सएप ज्ञानियों को तो ये भी नही मालूम होगा कि, भारतीय मूल के सुंदर पिचाई और इंदिरा नूई जैसे लोग अमेरिका मे अश्वेत प्रतिनिधित्व के चलते अपनी कम्पनी के सीइओ है।।
साभार- अरुण कुमार (व्हात्सएप्प)
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