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देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं (Maa aur Pita ko Samarpit Kavita)

देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. सुबह की सैर में, कभी चक्कर खा जाते है, सारे मौहल्ले को पता है, पर हमसे छुपाते है... दिन प्रतिदिन अपनी, खुराक घटाते हैं, और तबियत ठीक होने की, बात फ़ोन पे बताते है... ढीली हो गए कपड़ों, को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं... किसी के देहांत की खबर, सुन कर घबराते है, और अपने परहेजों की, संख्या बढ़ाते है, हमारे मोटापे पे, हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश" के, फायदे गिनाते है, ‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत', हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. हर साल बड़े शौक से, अपने बैंक जाते है, अपने जिन्दा होने का, सबूत देकर हर्षाते है... जरा सी बढी पेंशन पर, फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT, रिन्ऊ करते जाते है... खुद के लिए नहीं, हमारे लिए ही बचाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं... चीज़ें रख के अब, अक्सर भूल जाते है, फिर उन्हें ढूँढने में, सारा घर सर पे उठाते है... और एक दूसरे को, बात बात में...

भारत भारत मेरा परिचय (Bharat Bharat mera parichay) INDIA INDIA

भारत भारत मेरा परिचय मैं था  भारत, मैं हूँ भारत, भारत-भारत  मेरा परिचय  मैं नवल सृष्टि का सृजन गान, गिरिराज खड़ा इसका प्रमाण. गंगा की निर्मल सुधा-राशि में ,बहता मेरा मनः प्राण मेरे चरणों को छू-छूकर, सागर करता मुझको प्रणाम मेरे ही अन्तःस्थल में तो, है छुपा हुआ हर ब्रह्मज्ञान यदि मैनें सर्वश त्याग दिया, तो तुम करते हो क्यों संचय मैं था भारत, मैं हूँ भारत, भारत-भारत मेरा परिचय मैं मनु-सतरूपा का संयोग, मैं नव जीवन का नव प्रयोग मैं बोधिवृक्ष की सघन छाँव, मैं ही गौतम का सत्यबोध मैं शंखनाद हूँ जीवन का, मैं ही वेदों का नवल शोध मैं ही मधुता का मृदुल गान, मैं ही कटुता पर प्रबल चोट मैं विजय सारथी सदा रहा तो तुम भी कर लो दृढ निश्चय मैं था भारत , मैं हूँ भारत, भारत-भारत मेरा परिचय मैं कुरुक्षेत्र का हाहाकार, मैं अर्जुन धनुहा की टंकार मैं चक्रव्यूह का भेदमंत्र, मैं कृष्ण कण्ठ नव वेद सार मैं विवश द्रौपदी की पीड़ा,मैं सभा मध्य में पट-प्रसार मैं जीवन के उस पार कहीं हूँ, खुला सदा ही मोक्ष द्वार यदि मैं युद्धों से नहीं डरा, तो त...

बाबासाहेब डॉ भीम राव आंबेडकर का जीवन दर्शन Dr. Bhim Rao Ambedkar

बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जीवन दर्शन  Dr. Bhim Rao Ambedkar  हिन्दू धर्म में शुचिता-अशुचिता की धारणा पर व्याप्त जाति व्यवस्था के घोर विरोधी एवं कटु आलोचक, बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ0 अम्बेडकर एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, संविधान विशेषज्ञ के अतिरिक्त एक सामाजिक और धार्मिक चिन्तक एवं सिद्धान्तकार भी थे। उन्हें स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता और दलित चेतना के प्रतीक पुरूष के रूप में जाना जाता है। शांतिपूर्ण सामाजिक क्रान्ति उनके जीवन की प्रमुख मिशन था। सामाजिक क्रान्ति अर्थात् सामाजिक जड़ताओं से छुटकारा पाने और एक ऐसे समाज की रचना जिसमें मनुष्य-मनुष्य के बीच जन्म, जाति, आर्थिक स्थिति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सबके लिए उन्नति और विकास के समान अवसर व साधन उपलब्ध हों। समाज अंधविश्वासों, रूढ़ियों और व्यर्थ के कर्मकाण्डां से मुक्त हो। उनका मानना था कि समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सर्वोच्च मानव-मूल्यों को प्राप्त करने के लिए जाति-व्यवस्था को समाप्त करना आवश्यक है। इसकी समाप्ति के बिना न समाज में समृद्धि होगी और न ही शांति की स्थापना संभव है। एक बार स...

काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव Kal Bhairav "Kashi Ke Kotaval"

काशी के कोतवाल काल भैरव Kal Bhairav "Kashi Ke Kotaval" वाराणसी..... यूपी के वाराणसी में एक पुलिस स्टेशन ऐसा है, जहां ऑफिसर की कुर्सी पर बाबा काल भैरव विराजते हैं। अफसर बगल में कुर्सी लगाकर बैठते हैं। सालों से इस स्टेशन के निरीक्षण के लिए कोई IAS, IPS नहीं आया। आपको कोतवाल बाबा काल भैरव के बारे में बताने जा रहा है। सनातन नगरी कहे जाने वाले बनारस में बाबा विश्वनाथ के बाद यदि किसी का महत्व है, तो वे हैं काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव. बनारस के लोग सदियों से यह मानते आए हैं कि काशी विश्वेश्वर के इस शहर में रहने के लिए बाबा काल भैरव की इजाजत लेनी चाहिए, क्योंकि दैवी विधान के अनुसार वे इस शहर के प्रशासनिक अधिकारी हैं. शायद यही कारण है कि जो भी इस शहर में आता है, वह एक बार बाबा काल भैरव के मंदिर में शीश झुकाने जरूर जाता है. ...तो इसलिए अपनी कुर्सी पर नहीं बैठते थानेदार काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव का प्राचीन मंदिर इस शहर के मैदागिन क्षेत्र में स्थित है, जो कि अपनी संकरी गलियों, भीड़ और व्यस्तता के लिए जाना जाता है. इस मंदिर के पास एक कोतवाली है, जिसक...

अमेरिका और यूरोपीय देशों में आरक्षण Reservation or Affirmative Action

कौन कहता है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में आरक्षण नहीं है Reservation or Affirmative Action                जबसे सपा बसपा का गठबन्धन हुआ है और समाजवादी पार्टी के राष्ष्ट्रीय अध्यक्ष  Akhilesh Yadav ने जातीय जनगणना की वकालत और आबादी के सापेक्ष प्रतिनिधित्व (आरक्षण उचित शब्द नही है) की वकालत करना आरम्भ किया है और आम जनमानस में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर चर्चा होने लगी है, तबसे आबादी में सबसे कम होने के वावजूद देश के संसाधनों पर वर्षो से कब्जा किये लोगों की मानसिक स्तिथि बिगड़ गयी है। बौखलाहट में कुछ भी बक रहे हैं। ( आप रोज हजार झूठ लिखिये, सच लिखने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर छोड़ दीजिए। जब देश मे आग लगी हो तो इसे मेरा चिड़ी की चोंच में पानी बराबर योगदान मान लीजियेगा। में धन्य हो जाऊँगा ) साभार- अरुण कुमार, व्हाट्सएप              आरक्षण के खिलाफ बेहूदे और बेतुके तर्क दिए जाने शुरू कर दिये गए हैं। इनका पहला तर्क होता है कि दूसरे देशो मे आरक्षण नहीं दिया जाता इसलिये वे देश हमसे ज्यादा प्रगिति...

बेटी की अंतिम विदाई कविता Daughter's farewell poem

बेटी की अंतिम विदाई कविता Daughter's final farewell poem ★ ★ एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था।  तो कवि ने उस शव से पूछा ---- कौन हो तुम ओ सुकुमारी , बह रही नदियां के जल में ? कोई तो होगा तेरा अपना , मानव निर्मित इस भू-तल में ! किस घर की तुम बेटी हो , किस क्यारी की कली हो तुम ? किसने तुमको छला है बोलो , क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ? किसके नाम की मेंहदी बोलो , हांथों पर रची है तेरे ? बोलो किसके नाम की बिंदिया , मांथे पर लगी है तेरे ? लगती हो तुम राजकुमारी , या देव लोक से आई हो ? उपमा रहित ये रूप तुम्हारा , ये रूप कहाँ से लायी हो ? ★ ★ कवि की बातें सुनकरलड़की की आत्मा बोलती है................ कविराज मुझ को क्षमा करो , गरीब पिता की बेटी हूं ! इसलिये मृत मीन की भांती , जल धारा पर लेटी हुँ ! रूप रंग और सुन्दरता ही , मेरी पहचान बताते है ! कंगन , चूड़ी , बिंदी , मेंहदी , सुहागन मुझे बनाते है !   पिता के सुख को सुख समझा , पिता के दुख में दुखी थी मैं ! जीवन के इस तन्हा पथ पर , पति के सं...