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निपाह वायरस क्या है? क्यों है? और बचने के उपाय #Nipah

निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस आजकल केरल के  कोझीकोड में इन दिनों निपाह नाम के खतरनाक वायरस का आतंक है। ये वहां लगातार फैल रहा है। इससे कई मौतों की खबर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस (NiV) एक नई उभरती हुई बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारी की वजह बनता है। इसे ‘निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस’ भी कहा जाता है। निपाह नाम का वायरस संक्रामक बीमारी फैलाता है। ये 1998 में मलेशिया और 1999 में सिंगापुर में फैल चुका है। ये पहले पालतू सुअरों के जरिए फैला और फिर कई पालतू जानवरों मसलन कुत्तों, बिल्लियों, बकरी, घोड़े और भेड़ में दिखने लगा। ये मनुष्यों पर तेजी से असर डालता है। निपाह वायरस को ये नाम सबसे पहले मलेशिया के एक गांव (निपाह)  में फैलने के बाद दिया गया। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी सूची में शामिल किया हुआ है। यह एक तरह का दिमागी बुखार है। यह सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है और इसके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी चपेट में ले लेता है। शुरुआती जांच में यह तथ्य सामने आया कि खजूर की खेती से जुड़े लोगों को ये...

गुलामगिरी : ज्योतिबा राव फुले द्वारा Gulamgiri By Jyotiba Rao Phoole

गुलामगिरी : ज्योतिबा राव फुले द्वारा Gulamgiri By Jyotiba Rao Phoole पुस्तक का   विवरण :   महात्मा जोतिबा फुले ऐसे महान विचारक , समाज सेवी तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे जिन्होंने भारतीय सामाजिक संरचना की जड़ता को ध्वस्त करने का काम किया। महिलाओं , दलितों एवं शूद्रों की अपमानजनक जीवन स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए वे आजीवन संघर्षरत रहे। सन 1848 में उन्‍होंने पुणे में अछूतों के लिए पहला स्‍कूल खोला। यह भारत के ज्ञात इतिहास में अपनी तरह का पहला स्‍कूल था। इसी तरह सन 1857 में उन्होंने लड़कियों के लिए स्‍कूल खोला जो भारत में लड़कियों का पहला स्कूल हुआ.............................

कांग्रेस-जेडीएस गठबधंन में दरार? कर्नाटक में सत्ता का सस्पेंस गहराया, 10 बड़ी बातें

कांग्रेस-जेडीएस गठबधंन में दरार? कर्नाटक में सत्ता का सस्पेंस गहराया, 10 बड़ी बातें बेंगलुरु के एक पांच सितारा होटल में जेडीएस विधायक दल की बैठक मे पार्टी के दो विधायक राजा वेंकटप्पा नायक और वेंकट राव नाडागौड़ा नदारद नजर आ रहे हैं. अहम बैठकों से विधायकों के नदारद होने के बाद राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है.  parachhaee कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के सरकार बनाने मे पेंच फंसता नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जादू के बल पर वह सबसे आगे  है लेकिन उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिला हैै।  चुनाव आयोग नतीजों के अनुसार भाजपा बहुमत के आंकड़े 112 से आठ सीट पीछे है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए जनता दल (सेक्यूलर) एच डी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के लिए समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन बहुमत से कुछ ही सीटें कम जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा अभी भी सरकार बनाने का दावा कर रही है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों  की मतगणना के दौरान ही जेडीएस को समर्थन देने की बात कर चुकी कांग्रेस का यह पासा लगता है उल्टा पड़ रहा है. मतगणना के बाद...

हरा सोना है "तेंदुपत्ता" Tndupatta is a Green Gold

हरा सोना है "तेंदुपत्ता" बस्तर में हर वर्ष अरबो रूपये का तेंदुपत्ता  उत्पादन होता है। तेंदुपत्ता से हजारो आदिवासियों को आमदनी होती है। वनोपज के रूप तेंदुपत्ता आदिवासियों को सर्वाधिक रोजगार एवं आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है। तेंदुपत्ता से होने वाली आमदनी सोने चांदी के व्यापार से होने वाली आमदनी के बराबर होती है। इसी कारण यह हरा सोना के नाम से चर्चित है।  प्रत्येक वर्ष मार्च अप्रैल माह में तेंदु के छोटे छोटे पौधो ंमें नये पत्ते लगने प्रारंभ हो जाते है। ग्रामीण अपने परिवार सहित इन तेंदु के पौधों से पत्तों की तोड़ाई करते है। इन पत्तों की गडिडयां बनाकर इन्हे धुप में सुखाया जाता है। तेंदुपत्ता संग्राहकों को प्रति बोरा 2500.00 रू. की मजदुरी मिलती है।  ये पत्ते तेंदू के वृक्ष (डायोसपायरस मेलेनोक्जायलोन) से प्राप्त होते है जो इबेनेसी परिवार का पौधा है एवं भारतीय उप महाद्वीप की प्रजाति है । ट्रूप (1921) के अनुसार डायोसपायरस मेलेनोक्जायलोन (डायोसपायरस टोमेन्टोजा एवं डायोसपायरस टुपरू) समस्त भारत में शुष्क पर्णपाती वनों की एक मुख्य प्रजाति है तथा यह नेपाल, भारतीय पठार, ग...

पुरुषवादी शोच के खिलाफ बनते माहौल की नई दास्ताँ (Against the Patriarchy)

  पुरुषवादी शोच के खिलाफ बनते माहौल की नई दास्ताँ पुरुषवादी शोच के खिलाफ          कास सभी पुरूषों की ऐसी सो च होती,     तो शायद कोई नारी ,   असुरक्षित नही होती । एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, "आप क्या आशा करते हैं लडका होगा या लडकी" पति-"अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढाऊगा, हम खेलने जाएंगे, मैं उसे मछली पकडना सिखाऊगा।"   पत्नी - "अगर लड़की हुई तो...?"   पति- "अगर हमारी लड़की होगी तो, मुझे उसे कुछ सिखाने की जरूरत ही नही होगी" "क्योंकि, उन सभी में से एक होगी जो सब कुछ मुझे दोबारा सिखाएगी, कैसे पहनना, कैसे खाना, क्या कहना या नही कहना।" "एक तरह से वो, मेरी दूसरी मां होगी। वो मुझे अपना हीरो समझेगी, चाहे मैं उसके लिए कुछ खास करू या ना करू।" "जब भी मै उसे किसी चीज़ के लिए मना करूंगा तो मुझे समझेगी। वो हमेशा अपने पति की मुझ से तुलना करेगी।" "यह मायने नही रखता कि वह कितने भी साल की हो पर वो हमेशा चाहेगी की मै उसे अपनी baby doll की तरह प...

#बुरावक्त (Boorawaqt)

बुरावक्त बुरावक्त #चूहा  एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था। एक दिन  #चूहे  ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है। उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक  #चूहेदानी  थी। ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर  #कबूतर  को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है। कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है? निराश चूहा ये बात  #मुर्गे  को बताने गया। मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है। हताश चूहे ने बाड़े में जा कर  #बकरे  को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा। उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला  #साँप  फँस गया था। अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया। तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे #कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी। कबूतर अब पतीले में उबल रहा था। खबर सुनकर उस कसाई के कई र...

चरित्रहीन (Charitraheen)

चरित्रहीन  चरित्रहीन एक बार एक बुजुर्ग की बातों से प्रभावित हो एक औरत ने उन्हें अपने घर खाने का निमंत्रण दिया । बुजुर्ग निमंत्रण स्वीकार कर उस औरत के घर भोजन के लिए चल पड़े । रास्ते में जब लोगों ने उस औरत के साथ बुजुर्ग को देखा तो, एक आदमी उनके पास आया और बोला कि आप इस औरत के साथ कैसे? बुजुर्ग ने बताया कि वह इस औरत के निमंत्रण पर उसके घर भोजन के लिए जा रहे हैं, यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि आप इस औरत  के घर न जाऐं आप की अत्यंत बदनामी होगी क्योंकि यह औरत चरित्रहीन है। इसके बावजूद बुजुर्ग न रुके, कुछ ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। आनन फानन में गांव का मुखिया दौडता हुआ आ गया और बुजुर्ग से उस औरत के यहां न जाने का अनुरोध करने लगा। विवाद होता देख बुजुर्ग ने सबको शांत रहने को कहा, फिर मुस्कराते हुए मुखिया का एक हाथ अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और बोले- क्या अब तुम ताली बजा सकते हो? मुखिया बोला एक हाथ से भला कैसे ताली बजेगी । इस पर बुजुर्ग मुस्कुराते हुए बोले जैसे एक हाथ से ताली नहीं बज सकती तो अकेली औरत कैसे चरित्रहीन हो सकती...

सावंली (सावला रंग है साहब, मन नहीं) Sawali

सावंली   (सावला रंग है साहब, मन नहीं)  सावंली   बारात खाली लौट चुकी थी, शादी के मेहमान भी सारे लौट चुके थे..इस बार शादी दहेज के लिए नहीं ..लड़की के सावले पन की वजह से टूटी थी...लड़की का बाप सबके पैरों मे गिरा था...आखीर बाप था बेटी का, और बेटे से ज्यादा बेटी सम्मानित करती है बाप को। और एक बाप हमेशा अपनी बेटी के कारण सम्मानित होना चाहता है। सगाई के दिन तक लड़का को अंजलि (लड़की का नाम) पसंद थी मगर शा दी के वक्त उसने लड़की को उसके सावलेपन के कारण छोड़ दिया।  ( एक बात कहूँ दोस्तों? बुरा मत मानना, मैं लड़का हूँ ..भले मेरा चेहरा आलू जैसा हो मगर लड़की तो मुझे पनीर जैसी ही गोरी और खूबसूरत चाहिए)  अंजली के पिता खाली कुर्सीयो के बिच बैठकर बहुत देर तक रोते रहे...(घर मे बस दो ही लोग, बाप और बेटी अंजलि। जब अंजलि पांच साल की थी तब माँ चल बसी थी,  अचानक उन्हें ख्याल आया अपनी बेटी अंजलि का, कहीं बारात लौटने की वजह से मेरी बेटी?????? दौड़कर भागते है अंजलि के कमरे की ओर..मगर ये क्या? अंजलि दो कप चाय लेके मुस्कुराती हुई आ रही थी अपने पापा की ओर...

सर पे कितना बोझ उठाये बैठा हूँ न जाने कितनों से खार खाये बैठा हूँ

अपनों से ही अपना सब कुछ लुटाये बैठा हूँ अपनों से ही अपना सब कुछ लुटाये बैठा हूँ......... सर पे कितना बोझ उठाये बैठा हूँ  न जाने कितनों से खार खाये बैठा हूँ  मेरी चुप्पी को कमज़ोरी समझते है वो  मैं तो अंगार को बस दिल में दबाये  बैठा हूँ  तमाशे पे तमशा लगा रहे  हर जगह  बेगैरतो को अपना खैरख्वाह बनाये बैठा हूँ  हर सफ़ेद लिबास की चमक अब मैली सी  लगे इस हमाम में सबको नंगा  नहाये  देखा हूँ  आँखों से काजल तक चुरा लेते है  वो  जिन्हें इस मुल्क का पहरेदार लगाये  बैठा हूँ  बगावत के सिवा अब बचा क्या  मेरे पास ? अपनों से ही अपना सबकुछ लुटाये बैठा हूँ...

देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं (Maa aur Pita ko Samarpit Kavita)

देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. सुबह की सैर में, कभी चक्कर खा जाते है, सारे मौहल्ले को पता है, पर हमसे छुपाते है... दिन प्रतिदिन अपनी, खुराक घटाते हैं, और तबियत ठीक होने की, बात फ़ोन पे बताते है... ढीली हो गए कपड़ों, को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं... किसी के देहांत की खबर, सुन कर घबराते है, और अपने परहेजों की, संख्या बढ़ाते है, हमारे मोटापे पे, हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश" के, फायदे गिनाते है, ‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत', हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. हर साल बड़े शौक से, अपने बैंक जाते है, अपने जिन्दा होने का, सबूत देकर हर्षाते है... जरा सी बढी पेंशन पर, फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT, रिन्ऊ करते जाते है... खुद के लिए नहीं, हमारे लिए ही बचाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं... चीज़ें रख के अब, अक्सर भूल जाते है, फिर उन्हें ढूँढने में, सारा घर सर पे उठाते है... और एक दूसरे को, बात बात में...

भारत भारत मेरा परिचय (Bharat Bharat mera parichay) INDIA INDIA

भारत भारत मेरा परिचय मैं था  भारत, मैं हूँ भारत, भारत-भारत  मेरा परिचय  मैं नवल सृष्टि का सृजन गान, गिरिराज खड़ा इसका प्रमाण. गंगा की निर्मल सुधा-राशि में ,बहता मेरा मनः प्राण मेरे चरणों को छू-छूकर, सागर करता मुझको प्रणाम मेरे ही अन्तःस्थल में तो, है छुपा हुआ हर ब्रह्मज्ञान यदि मैनें सर्वश त्याग दिया, तो तुम करते हो क्यों संचय मैं था भारत, मैं हूँ भारत, भारत-भारत मेरा परिचय मैं मनु-सतरूपा का संयोग, मैं नव जीवन का नव प्रयोग मैं बोधिवृक्ष की सघन छाँव, मैं ही गौतम का सत्यबोध मैं शंखनाद हूँ जीवन का, मैं ही वेदों का नवल शोध मैं ही मधुता का मृदुल गान, मैं ही कटुता पर प्रबल चोट मैं विजय सारथी सदा रहा तो तुम भी कर लो दृढ निश्चय मैं था भारत , मैं हूँ भारत, भारत-भारत मेरा परिचय मैं कुरुक्षेत्र का हाहाकार, मैं अर्जुन धनुहा की टंकार मैं चक्रव्यूह का भेदमंत्र, मैं कृष्ण कण्ठ नव वेद सार मैं विवश द्रौपदी की पीड़ा,मैं सभा मध्य में पट-प्रसार मैं जीवन के उस पार कहीं हूँ, खुला सदा ही मोक्ष द्वार यदि मैं युद्धों से नहीं डरा, तो त...

बाबासाहेब डॉ भीम राव आंबेडकर का जीवन दर्शन Dr. Bhim Rao Ambedkar

बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जीवन दर्शन  Dr. Bhim Rao Ambedkar  हिन्दू धर्म में शुचिता-अशुचिता की धारणा पर व्याप्त जाति व्यवस्था के घोर विरोधी एवं कटु आलोचक, बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ0 अम्बेडकर एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, संविधान विशेषज्ञ के अतिरिक्त एक सामाजिक और धार्मिक चिन्तक एवं सिद्धान्तकार भी थे। उन्हें स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता और दलित चेतना के प्रतीक पुरूष के रूप में जाना जाता है। शांतिपूर्ण सामाजिक क्रान्ति उनके जीवन की प्रमुख मिशन था। सामाजिक क्रान्ति अर्थात् सामाजिक जड़ताओं से छुटकारा पाने और एक ऐसे समाज की रचना जिसमें मनुष्य-मनुष्य के बीच जन्म, जाति, आर्थिक स्थिति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सबके लिए उन्नति और विकास के समान अवसर व साधन उपलब्ध हों। समाज अंधविश्वासों, रूढ़ियों और व्यर्थ के कर्मकाण्डां से मुक्त हो। उनका मानना था कि समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सर्वोच्च मानव-मूल्यों को प्राप्त करने के लिए जाति-व्यवस्था को समाप्त करना आवश्यक है। इसकी समाप्ति के बिना न समाज में समृद्धि होगी और न ही शांति की स्थापना संभव है। एक बार स...