देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. सुबह की सैर में, कभी चक्कर खा जाते है, सारे मौहल्ले को पता है, पर हमसे छुपाते है... दिन प्रतिदिन अपनी, खुराक घटाते हैं, और तबियत ठीक होने की, बात फ़ोन पे बताते है... ढीली हो गए कपड़ों, को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं... किसी के देहांत की खबर, सुन कर घबराते है, और अपने परहेजों की, संख्या बढ़ाते है, हमारे मोटापे पे, हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश" के, फायदे गिनाते है, ‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत', हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. हर साल बड़े शौक से, अपने बैंक जाते है, अपने जिन्दा होने का, सबूत देकर हर्षाते है... जरा सी बढी पेंशन पर, फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT, रिन्ऊ करते जाते है... खुद के लिए नहीं, हमारे लिए ही बचाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं... चीज़ें रख के अब, अक्सर भूल जाते है, फिर उन्हें ढूँढने में, सारा घर सर पे उठाते है... और एक दूसरे को, बात बात में...
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